करनाल/कीर्ति कथूरिया : सुमिता सिंह पूर्व विधायक करनाल ने कहा कि भाजपा का महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक महिलाओं के साथ धोखा हुआ है। उन्होंने कहा कि 2021 में जनगणना नहीं हुई नए परिसीमन पर 2026 तक रोक है।

आखिरी बार 1971 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ था पहले जनगणना होगी फिर परिसीमन होगा और उसके बाद नये संसदीय सीटों के हिसाब से महिला आरक्षण लागू होगा सरकार पर निर्भर है कि वह जनगणना कब कराती है और फिर परिसीमन महिला आरक्षण के 2024 में लागू के आसार नहीं है ।

आगे पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार जल्दबाजी में यह विधेयक पारित करवाना चाहती है उन्होंने कहा कि विधेयक में ओबीसी व अल्पसंख्यक महिलाओ का आरक्षण निश्चित होना चाहिए यूपीए वन के दौरान सन 2010 में राज्यसभा में पारित होने पर लोकसभा में अगर बीजेपी तब इस बिल को लेकर कांग्रेस को समर्थन दे देती तो यह कानून कब का बन चुका होता।

उन्होंने कहा कि राजीव गांधी जी की गहरी और दूरदर्शी सोच थी कि महिलाएं समाज की अंतरात्मा है परिवार और समाज को एक सूत्र में बांधकर रख सकती हैं तभी वह महिलाओं को राजनीति ताकत देना चाहते थे और इसीलिए पंचायत राज संस्था में एक तिहाई आरक्षण दिया।

सितम्बर 1989 में राजीव गांधी पंचायती राज में महिलाओं का आरक्षण के लिए बिल लेकर आए बिल राज्यसभा में पास हो गया लेकिन लोकसभा में पास नहीं हो पाया फिर 1992 में कांग्रेस सरकार के पी वी नरसिम्हा राव के समय 73वे और 74वे सविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 243(डी) और 243(टी) को सविधान में शामिल किया गया।

देश में पंचायती राज और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटे सुरक्षित की गई उन्होंने कहा कि सोनिया जी और राहुल जी ने प्रधानमंत्री को कई बार पत्र लिखकर ये बिल पास करने की मांग की है हाल में सीडब्ल्यूसी की बैठक में महिला आरक्षण को लागू करने का प्रस्ताव पारित किया गया महिलाओं को उनका हक और हिस्सेदारी दिलाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने हमेशा आवाज उठाई है।

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