करनाल/समृद्धि पराशर: हरियाणा कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। किरण चौधरी के बाद असंध के कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। गोगी ने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष को पार्टी के छोटे से छोटे व बड़े से बड़े राजनेता को एक सामान समझाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी भी कार्यकर्ता व नेता की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। जब कोई व्यक्ति यह मानकर चलता है कि मैं ही कांग्रेस हूं, ये गलत है।
कार्यकारी अध्यक्षों ने सवाल उठाए हैं तो सच्चाई वो ही बताएंगे
शमशेर सिंह गोगी ने एक इंटरव्यू में कहा है कि कार्यकारी अध्यक्षों ने अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। इसकी सच्चाई तो कार्यकारी अध्यक्ष ही बता सकते हैं, लेकिन इससे ऐसा लगता है कहीं न कहीं गड़बड़ तो जरूर है। जब अध्यक्ष कोई फैसला लेते हैं तो वे कार्यकारी अध्यक्षों को विश्वास में क्यों नही लेते? कांग्रेस में तो सभी की राय ली जाती है। फिर भला प्रदेशाध्यक्ष उदयभान सिंह इससे कैसे बच सकते हैं?
बीरेंद्र सिंह भी आ सकते हैं कांग्रेस में
जब गोगी से सवाल किया गया कि क्या भाजपा नेता बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में आ सकते हैं तो उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि बीरेंद्र सिंह कांग्रेस में आएंगे। क्योंकि भाजपा में अब कुछ नहीं बचा है। ऐसे में कांग्रेस की अब उन्हें बचा सकती है।
क्यों मुखर हो रहे हैं शमशेर सिंह
दरअसल शमशेर सिंह गोगी को शैलजा गुट का माना जाता रहा है। उदयभान से पहले कुमारी शैलजा प्रदेश अध्यक्ष थी, लेकिन तब प्रदेश में पार्टी का संगठन नहीं बन पाया था। इसमें हुड्डा गुट रोड़ा अटकता रहा। अब उदयभान के पास पार्टी की कमान है, एक साल उन्हें इस पर हो गया, लेकिन अभी तक वह भी संगठन नहीं बना पाए। इस वजह से कांग्रेस के भीतर अब यह सवाल उठ रहा कि संगठन के बिना पार्टी मजबूत कैसे होगी?
हुड्डा गुट का वर्चस्व बना हुआ है
पार्टी के भीतर हुड्डा गुट का वर्चस्व बना हुआ है। इस वजह से शैलजा व किरण चौधरी गुट खासा नाराज चल रहा है। इनका मानना है कि यह स्थिति पार्टी के लिए ठीक नहीं है। लेकिन दिक्कत यह है कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट काफी मजबूत है। इसलिए वह पार्टी में जो भी चाहते हैं, वह संभव हो जाता है।
अंबाला लोकसभा चुनाव से भी एक गुट परेशान है
अंबाला लोकसभा सीट से कुमारी शैलजा चुनाव लड़ती रही हैं। पिछले चुनाव में उन्हें हाल मिली थी। अब भाजपा के सांसद रत्न लाल कटारिया के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई है, यहां चुनाव होने हैं। अब शैलजा गुट की चिंता यह है कि इस सीट से वह टिकट लें या न लें। क्योंकि यदि टिकट लेते हैं तो यहां पार्टी की हालात काफी नाजुक है।
अंबाला और यमुनानगर में कांग्रेस के दिग्गज नेता पार्टी से किनारा कर चुके हैं। अंबाला से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और विनोद शर्मा कांग्रेस से अलग हो चुके हैं, यमुनानगर से देवेंद्र चावला ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है।