सिरसा/समृद्धि पराशर: पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव कुमारी शैलजा ने कहा कि प्रदेश सरकार पोटर्ल से जनता की जिंंदगी को गुमराह करने का काम कर रही है। पोटर्ल योजनाओं की वजह से किसानों को भारी असुविधा और असहज स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। कुमारी शैलजा ने गुरुवार को यहां जारी बयान में कहा कि प्रदेश सरकार ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा, मेरा पानी मेरा ब्यौरा, ई-क्षतिपूर्ति जैसे पोटर्ल लांच किए हैं। चाहे गेहूं, कपास, बाजरे या सब्जियों की फसल हो, इसे पोटर्ल पर चढ़ाना होता है। अभी कपास की बिजाई हो रही है, कुछ जगह हो चुकी है, उसको पोटर्ल पर 31 जुलाई तक चढ़ाना आवश्यक है।
किसानों ने शिकायत की है कि जिस पोटर्ल पर यह ब्यौरा चढ़ाना होता है, वह चल ही नहीं रहा। उन्होंने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा केंद्र सरकार की सिफारिश पर हरियाणा सरकार ने 2018-19 में शुरू किया था। जब यह शुरू हुआ तो अनेक तरह की दिक्कतें थीं। इसमें किसान, ब्यूरोक्रेट्स, बड़े अधिकारी अपना सर पकडक़र बैठ गए थे। भारी-भरकम रुकावटें इसमें आ रही थीं। सरकार ने तब गलती यह भी की कि पैरलल सिस्टम बंद नहीं किया। इसमें बहुत संघर्ष के साथ किसान को अपनी फसल बेचनी पड़ी। किसानों को पेमेंट्स में भी दिक्कत आई। किसानों ने मांग की कि इस डिजीटलीकरण के सिस्टम को वापस ले लिया जाए। परंतु सरकार इसमें सुधार की कोशिश में सफल नहीं हो पाई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शैलजा ने कहा कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा की सर्विस कमजोर हैं। इंटरनेट सेवा मजबूत करने की जरूरत थी। पूरी सूची आज तक मेरी फसल मेरा ब्यौरा में नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि किसान कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है जबकि इसमें ऐसा नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि पोटर्ल पर सीमित समय क्यों दिया जाता है। उस पर पटवारी या नंबरदार की तसदीक क्यों आवश्यक है। कई कई गांवों में एक एक पटवारी है, वे समय पर उपलब्ध नहीं हो पाते जिसकी वजह से किसान को मारे-मारे घूमना पड़ता है। ई-क्षतिपूर्ति पोटर्ल पर भी इसी तरह तकनीकी दिक्कतें आती हैं। कांग्रेस नेत्री ने कहा कि फार्म भरकर संबंधित पटवारी व अधिकारियों से तसदीक करवाकर जमा करवाना पड़ता है। यह प्रक्रिया कतई नहीं होनी चाहिए क्योंकि किसान अपनी वैरिफिकेशन स्वयं कर देता है। उन्होंने मांग की कि सरकार पोटर्ल की पटरी से उतरकर किसान की जरूरत के हिसाब से काम करे ताकि उन्हें किसी प्रकार की समस्या से दो चार न होना पड़े।