हरियाणा के सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी वाले बहुचर्चित मामले की सुनवाई शुक्रवार को हाईकोर्ट में हुई।

सरकार की तरफ से प्रधान सचिव सुधीर राजपाल, डायरेक्टर जनरल सेकेंडरी एजुकेशन, एडवोकेट जनरल के साथ व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए और एफिडेविट दायर किया। इसमें कहा गया कि बच्चे दाखिला लेंगे तभी क्लासरूम बनेंगे।

एफिडेविट में हाईकोर्ट को बताया गया कि 8240 क्लासरूम में से 415 का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, 879 का निर्माण कार्य जारी है जो दिसंबर 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।

1372 क्लासरूम का निर्माण कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा। पीने के पानी, शौचालय और बिजली के कनेक्शन की सुविधा सभी स्कूलों में उपलब्ध करवा दी गई है

एफिडेविट में सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि बाकी क्लास रूम का निर्माण बच्चों के दाखिले लेने पर निर्भर करेगा। वहीं एडवोकेट प्रदीप रापड़िया ने कोर्ट को बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार बच्चों के अनुपात में शिक्षकों का अभाव है।

कोर्ट के पूछने पर प्रधान सचिव ने बताया कि शिक्षकों के लगभग 26 हजार पद खाली हैं। जिनको जल्द ही भरा जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि चुनावी आचार संहिता लागू होने में ज्यादा समय नहीं है, ऐसे में सरकार भर्ती कैसे कर पाएगी।

जवाब में प्रधान सचिव ने कहा कि भर्ती की प्रक्रिया जारी है जिसके बारे में अगली सुनवाई पर विस्तार से जानकारी दे दी जाएगी। इस पर जस्टिस विनोद भारद्वाज ने अगली तारीख पर शिक्षकों की भर्ती से संबंधित जानकारी कोर्ट को देने के आदेश दिए।

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