हरियाणा में तीज का पावन पर्व इस बार महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद की सौगात लेकर आया। तीज के पर्व पर भाई द्वारा अपनी बहन को कोथली देने की परंपरा निभाते हुए मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने महिलाओं को कल्याणकारी योजनाओं रूपी कोथली भेंट की।
सोमवार को जिला अंबाला में तीज उत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को और अधिक गति देने के लिए ‘लाडो सखी’ योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं की देखभाल के लिए ‘लाडो सखी’ को लगाया जाएगा। यह ‘लाडो सखी’ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर व ए.एन.एम. बहनें गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान देखभाल करेगी। इस योजना के तहत बेटी पैदा होने पर हर ‘लाडो सखी’ को 1 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने आंगनवाडिय़ों में ‘बढ़ते कदम डिजिटल बाल कार्यक्रम’ शुरू करने की घोषणा की। यह कार्यक्रम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नन्हे बच्चों की देखभाल और शिक्षा में मदद करेगा।
सरकार की नई पहलों से हरियाणा में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स 50 प्रतिशत हो गए हैं। इस गति में और तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री ने आज कुछ और नई पहलों की घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि हरियाणा स्टार्टअप्स नीति में 50 प्रतिशत लाभार्थी महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स होंगे। छोटी उम्र में ही उद्यमशीलता में रुचि को बढाने के लिए छात्राओं को 10 हजार ‘डु-इट-योअर सेल्फ’ किट वितरित की जाएंगी। हाथ से बनाई जाने वाली चीजों, जैसे कि पारंपरिक कपड़ा, पर्यावरण के अनुकूल ग्रामीण शिल्प, आयुर्वेद आधारित हैल्थ एंड वैलनेस, देसी खाद्य उत्पादों आदि में बनाने में लगे महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स की सहायता के लिए एक योजना शुरू की जाएगी। इसमें 50 हजार से 1 लाख रुपये तक की मदद दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार, नीति आयोग के सहयोग से, महिला उद्यमिता मंच का ‘हरियाणा स्टेट चैप्टर’ शुरू करेगी ताकि राज्य की महिला उद्यमियों को 700 से अधिक सलाहकारों के नेटवर्क से व्यक्तिगत मार्गदर्शन मिले, क्षेत्र-विशेष का प्रशिक्षण मिले और वित्त पोषण, बाजार तक पहुंच व इनक्यूबेशन के लिए सहायता मिल सके।
मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि नई औद्योगिक और क्षेत्रीय नीतियों के तहत हरियाणा सरकार राज्य में महिलाओं के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा की महिलाओं को रोजगार देने वाली इकाइयों को अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान करेगी। इसके अलावा, राज्य की महिला उद्यमियों की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक खरीद मानदंडों में छूट प्रदान करेगी।
मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि हर विकास खंड में एक राशन डिपो स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को दिया जाएगा। इससे उन्हें रोजगार मिलेगा, गांवों की व्यवस्था में भी भगीदारी बढ़ेगी।
प्रदेशभर में 131 महिला सांस्कृतिक केन्द्रों का किया उदघाटन
कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेशभर में 131 महिला सांस्कृतिक केन्द्रों का उदघाटन किया। इन केंद्रों में महिलाएं भजन, गीत, नृत्य आदि सांस्कृतिक कार्यक्रम कर सकेंगी।
मुख्यमंत्री ने स्वयं सहायता समूहों को जुलाई, 2025 तक की 14 करोड़ 26 लाख रुपये की रिवॉलविंग फंड और सामुदायिक निवेश की राशि के चेक भी प्रदान किए। इनके अलावा, छ: जिलों के रूरल माट्र्स की चाबियां भी संबंधित स्वयं सहायता समूहों को सौंपी गई। इसके अलावा, हस्तशिल्प में श्रेष्ठ काम करने वाली महिलाओं को भी सम्मानित किया गया। इसमें राज्य हस्तशिल्प पुरस्कार के लिए 3 लाख रुपये, उत्कृष्ठ महिला शिल्पकार पुरस्कार के लिए भी 3 लाख रुपये की राशि दी गई है। इसके अलावा, 51-51 हजार रुपये के 12 सांत्वना पुरस्कार दिये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले श्रेष्ठ स्वयं सहायता समूह पुरस्कार भी प्रदान किये। हर जिले में प्रथम स्थान पर रहने वाले स्वयं सहायता समूह को 1 लाख रुपये, दूसरे स्थान पर रहने वाले को 50 हजार तथा तीसरे स्थान के लिए 25 हजार रुपये प्रदान किये गये हैं।
तीज का पर्व हमारी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और अटूट सामाजिक ताने-बाने का प्रतीक
मुख्यमंत्री ने महिलाओं, बेटियों और बहनों को पावन पर्व तीज की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि तीज का पर्व केवल एक त्योहार नहीं, यह हमारी समृद्ध संस्कृति, हमारी परंपराओं और हमारे अटूट सामाजिक ताने-बाने का प्रतीक है। यह पर्व प्रकृति के साथ हमारे गहरे जुड़ाव, नारी शक्ति के सम्मान और परिवार में प्रेम, सौहार्द और खुशहाली का संदेश देता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन में खुशहाली बनाए रखने के लिए, हमें अपने रिश्तों को सींचना होगा, अपनी संस्कृति को संजोना होगा और प्रकृति का सम्मान करना होगा।
उन्होंने कहा कि हमारा यह प्रयास रहा है कि हम अपनी गौरवशाली परंपराओं और त्योहारों को न केवल जीवित रखें, बल्कि उन्हें और भी भव्यता और उत्साह के साथ मनाएं। प्रदेशभर में लगातार तीज महोत्सवों का आयोजन इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य यह है कि हमारी नई पीढ़ी भी अपनी संस्कृति और विरासत से जुड़ सके और इन त्योहारों के महत्व को समझ सके।
