करनाल/समृद्धि पराशर: भारतीय प्रजातंत्र के इतिहास में उस समय की कांग्रेस सरकार द्वारा लगाया गया आपातकाल यानी इमरजेंसी सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और काला अध्याय है। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री ने अदालत के आदेश से घबराकर रात के अंधेरे में पूरे देश को कई वर्ष के लिए अंधकार में धकेल दिया था। उस समय लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करते हुए जेलों में गए लाखों लोग लोकतंत्र सेनानी के रूप में हम सबके लिए सम्मान और श्रद्धा के पात्र हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने रविवार को मेहता फार्म में आयोजित लोकतंत्र सेनानी सम्मान समारोह के उपरांत वयोवृद्ध सेनानियों से अनौपचारिक संवाद में यह बात कही।
डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए 70 के दशक में लड़ी गई लड़ाई संग्राम था जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया। स्कूली विद्यार्थियों को भी उस समय की जालिम सरकार ने लोकतंत्र के लिए आवाज उठाने के आरोप में कई कई महीने के लिए जेल भेज दिया था। विपक्षी दलों के सभी छोटे बड़े नेता तो महीनों तक जेलों में रहे ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके आनुषंगिक संगठनों के हजारों कार्यकर्ता हरियाणा की विभिन्न जेलों में डाल दिए गए थे। चौहान ने कहा कि हरियाणा सरकार ने सभी लोकतंत्र सेनानियों को ताम्रपत्र भेंट कर सम्मानित किया है और उन्हें सम्मान पेंशन भी दी जा रही है।
डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि आज जो कांग्रेस पार्टी देश में लोकतंत्र के खतरे में होने का फर्जी नारा लगाने से नहीं चूकती, उस कांग्रेस के नई पुराने नेताओं को सबसे पहले आपातकाल के पाप के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान उस समय की सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने जो अपराध किए, उन्हें माफ तो नहीं किया जा सकता परंतु माफी मांग कर कांग्रेस लोकतंत्र की बात करने का अधिकार जरूर हासिल कर सकती है।
हरियाणा एग्रो के पूर्व चेयरमैन गोविंद भारद्वाज द्वारा इस अवसर पर बताया गया कि जय गुरुदेव संस्था के तत्कालीन प्रमुख और वर्तमान गुरु दोनों लोकतंत्र रक्षा के इस युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल रहे। पंचकूला से पधारे राम अवतार सिंघल ने बताया कि वे महज दसवीं कक्षा के विद्यार्थी थे जब उन्हें उनके साथियों के साथ हिसार में बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया गया था। कालका निवासी पृथ्वीराज ने इस अवसर पर कहा कि वह ऐसा अंधकार युक्त कालखंड था जिसके बारे में सोच कर आज भी भुक्तभोगी लोगों की रूह कांप उठती हैं। उनका मानना था कि नई पीढ़ी को आपातकाल के बारे में जानकारी देना आवश्यक है ताकि उन्हें एहसास रहे कि लोकतंत्र पर किस किस तरह के खतरे आजादी के बाद आ चुके हैं और कौन लोग उनके लिए जिम्मेदार थे।
आपातकाल का दुर्भाग्यपूर्ण अध्याय: भारतीय इतिहास में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाया गया आपातकाल