केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पवित्र सरस्वती नदी को हरियाणा की पावन धरा पर प्रवाहित करने के प्रयास 1986 से शुरू किए गए थे। इस अहम कार्य को लेकर ही 10 वर्ष पूर्व हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की स्थापना की गई। इन 10 वर्षों में बोर्ड के माध्यम से सरस्वती नदी के मार्ग पर जमीनों से कब्जा हटवाने के लिए करीब 80 प्रतिशत जमीन या तो दान में या फिर खरीद ली गई है। इस कार्य के पूरा होने के बाद सरस्वती नदी को फिर से प्रवाहित करने के प्रयास पूरे हो जाएंगे।

केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल रविवार को पिहोवा सरस्वती तीर्थ पर हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की तरफ से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव के समापन समारोह के अवसर पर बोल रहे थे। इससे  पहले केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल, भाजपा नेता जय भगवान शर्मा डीडी, उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच, मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती ने हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की प्रदर्शनी के साथ-साथ सरस मेले का अवलोकन किया।

इसके उपरांत केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री सरस्वती तीर्थ पर बनाए गए आरती स्थल पर पहुंचे, यहां पर शंखनाद की ध्वनि के साथ 1100 विद्यार्थियों के संग केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने मां सरस्वती के श्लोकों का उच्चारण किया। इन श्लोकों उच्चारण से बसंत पंचमी के पावन पर्व पर सरस्वती तीर्थ का पूरा माहौल सरस्वतीमय बन गया।

मनोहर लाल ने महोत्सव के मुख्य मंच पर दीप शिखा प्रज्ज्वलित करके विधिवत रूप से प्रसिद्ध लोक कलाकार गजेन्द्र फौगाट की सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ किया। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री ने सरस्वती जंगम का विमोचन किया और प्रदेशवासियों को बसंत पंचमी और सरस्वती जयंती की बधाई और शुभकामनाएं दी। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हजारों वर्षों से नदियों को पवित्र माना गया है और प्रकृति के पांच तत्वों को भूमि, गगन, वायु, अग्नि और जल को भगवान की संज्ञा देकर हमेशा पूजा जाता रहा है।

इन पांचों तत्वों की पूजा करने से अच्छे संस्कार मिलते है और अच्छे संस्कारों से अच्छे समाज और देश की नीव रखी जा सकती है। इन्हीं तमाम विषयों को जहन में रखकर संस्कृति संस्कारों को हमेशा जिंदा रखने और युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत को रूबरू करवाने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव, गीता महोत्सव जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से इतिहास में पढ़ा और सुना जा रहा है कि नदियों के किनारे ही बैठकर ऋषि मुनि तपस्या करते थे और देश को चलाने के लिए दिशा भी निर्धारित करते थे। इतना ही नहीं हरियाणा की धरा से बहने वाली पवित्र सरस्वती नदी के किनारे वेदों और पुराणों की रचना हुई। इसलिए इतिहास को देखते हुए सरकार ने बिलासपुर का नाम बदलकर महर्षि व्यास के नाम पर व्यासपुर और मुस्तजापुर का नाम बदलकर सरस्वती नगर का नाम रखा है।

उन्होंने कहा कि सटेलाइट और अन्य वैज्ञानिक तथ्यों से अब साबित हो चुका है कि सरस्वती नदी का बहाव आदिबद्री से होकर हरियाणा से होते हुए रण ऑफ कच्छ तक पहुंचता है। इस सरस्वती नदी के मार्ग को खोजने के लिए डा. वांकडकर से उनकी बात हुई थी और 1986 से तीन दिन तक आदि बद्री से पिहोवा तक यात्रा की थी। इस नदी के किनारे ही पिंडदान और अस्थियों को विर्सजन किया जाता है।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को देव भूमि भी कहा जाता है और अब लुप्त हो रहे इतिहास और संस्कृति को सहेजने के लगातार प्रयास किए जा रहे है। अब सरस्वती नदी को लेकर लगातार शोध चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा। इसी जनजागरण को लेकर महोत्सव जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। ओएसडी भारत भूषण भारती ने भी अपने विचार व्यक्त किए। बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने मेहमानों का स्वागत और आभार व्यक्त किया। इसके उपरांत केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल ने लोक कलाकार गजेन्द्र फौगाट व अन्य कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

इस मौके पर उपायुक्त नेहा सिंह, पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला, भाजपा के जिलाध्यक्ष सुशील राणा, नपा चेयरमैन आशीष चक्रपाणी, चेयरमैन जय सिंह पाल, वक्ब बोर्ड के चेयरमैन जाकिर हुसैन, चेयरमैन धर्मवीर मिर्जापुर, युद्घिष्ठïर बहल, रामधारी शर्मा, डा. अवनीत वडैच, तरुण वडैच, मंदीप सिंह विर्क, शिव गुप्ता, गुरविन्द्र मोरथली, बलबीर गुज्जर, विकास गर्ग, हरिओम अग्रवाल, एडवोकेट मोहित शर्मा, अमन बिडलान, प्रिंस मंगला, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के सदस्य हनु चक्रपाणी, डा. सतीश सैनी, सुखबीर सैनी, जेपी मेहला, गुरनाम मलिक, अधीक्षक अभियंता अरविंद कौशिक, कार्यकारी अभियंता नवतेज सिंह, विकल चौबे आदि उपस्थित थे।

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