सांसद दीपेन्द्र हुड्डा आज करनाल में आयोजित कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि एडीजीपी रैंक के वरिष्ठ आईपीएस अफसर पूरन कुमार जी के परिवार के साथ सरकार घोर अन्याय कर रही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने आज चंडीगढ़ में आईपीएस पूरन कुमार के आवास पर पहुँचकर श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवार से मिलकर शोक प्रकट किया।
इसके बाद करनाल में नाहर सिंह संधु के यहाँ एक कार्यक्रम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हरियाणा में जब ADGP रैंक के वरिष्ठ अफसर को बीजेपी सरकार में न्याय नहीं मिल रहा तो आमजन सरकार से क्या उम्मीद करे। देश का हर वो इंसान जिसमें इंसानियत है, जो संविधान में विश्वास रखता है वो चाहता है कि न्याय हो और न्याय होता हुआ दिखना भी चाहिए। न्याय का अर्थ है निष्पक्ष जांच में जो दोषी हो उसको कड़ी से कड़ी सजा मिले।
निष्पक्ष जांच तब होगी जब देश का विश्वास बनेगा कि जांच को कोई प्रभावित नहीं करेगा। कोई निर्दोष फंसे नहीं और दोषी बचे नहीं। उन्होंने सवाल किया कि सरकार अब तक चुप क्यों है? 5 दिन बाद भी कोई बयान क्यों नहीं आया। ये सरकार जनभावनाओं पर नहीं बनी इसीलिये इतनी संवेदनहीनता दिखायी दे रही, लोकतंत्र जनसंवेदना से चला करते हैं। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिये 2 मिनट का मौन रखकर प्रार्थना की।
उन्होंने कहा कि परिवार की सहमति के बिना ही पोस्टमार्टम कराने की खबर सामने आ रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है और स्वीकार्य नहीं है। पिछले 2-3 दिनों में न्याय का चक्र जिस गति से घूमना चाहिए, नहीं घूम रहा। सरकार परिवार को संतुष्ट करे, परिवार की संतुष्टि में ही देशवासियों और समाज की संतुष्टि है।
उन्होंने कहा कि दलित समाज समेत पूरा देश आज देश-प्रदेश की सरकार की तरफ टकटकी लगाए देख रहा है कि न्याय हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए। सरकार सुनिश्चित करे कि परिवार को न्याय मिले, देरी न हो; न्याय होता हुआ दिखे और कोई भी जांच प्रभावित न कर पाए। जब तक परिवार को न्याय नहीं मिलेगा हम जिम्मेदार विपक्ष की तरह हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि ADGP रैंक के वरिष्ठ और होनहार आईपीएस अधिकारी को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा हो तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या चल रहा होगा। पुलिस परिवार के वरिष्ठतम अधिकारियों, कानून-व्यवस्था के मुख्य-संरक्षकों पर उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और प्रताड़ना के आरोप पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
आज पूरा सिस्टम संदेह के घेरे में है, जब न्याय देने वाले ही आरोप के घेरे में हो तो पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि निष्पक्ष व स्वतंत्र जांच तभी संभव है जब एसआईटी जांच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में करायी जाए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो और जाँच में निर्धारित दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।